बाबा बागेश्वर ने किस अनहोनी की जताई आशंका? रद्द किया आज का दिव्य दरबार, श्रद्धालुओं से की ये अपील
पटना
पटना के नौबतपुर के तरेत पाली मठ में बाबा बागेश्वर की हनुमत कथा का रविवार को दूसरा दिन था। दिव्य दरबार में हजारों में की तादाद में श्रद्धालु उमड़े थे। लेकिन इसी दौरान अचानक बागेश्वर बाबा ने अनहोनी की आशंका जताते हुए 15 मई का दिव्य दरबार स्थगित कर दिया है। और अपील की है कि टीवी पर ज्यादा लोग हनुमत कथा सुने, पांचों दिन कथा जारी रहेगी। आज दोपहर 2 बजे हनुमंत कथा होगी। लेकिन कथा में ज्यादा श्रद्धालुओं के नहीं आने की बात कही है। दरअसल 14 मई को कथा के दौरान भीषण गर्मी और धूल उड़ने के चलते लोगों को घुटन महसूस होने लगी थी। कई लोग पंडाल में ही बेहोश हो गए, कई लोगों की तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद एंबुलेंस से अस्पताल में भर्ती कराया गया।
15 मई को नहीं लगेगा दिव्य दरबार
जिसके बाद बागेश्वर सरकार धीरेंद्र शास्त्री ने बीच में ही कथा रोक दी। और अनहोनी की आशंका जाहिर करते हुए। लोगों से भारी तादाद में नहीं आने की अपील की। दरअसल कल गर्मी और घुटन के चलते सांस लेने के लिए कथा स्थल पर बैठे कई लोग एक-दूसरे को ठेलते हुए गेट से बाहर निकलने की जद्दोजहद करते दिखे। बेहोश होने वालों में ज्यादातर महिलाएं व छोटे बच्चे रहे। कथा पंडाल पर व्यवस्था में लगे तरेत के युवक रामकुमार ने बताया कि कथा समाप्ति की घोषणा होते ही लोगों के भीड़ बाहर निकलने की होड़ करने लगी। मौजूद लोग तत्काल बाहर निकल जाना चाहते थे। इसमें वहां भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। अफरा-तफरी के इस माहौल में कई जगहों पर मौजूद बैरिकेडिंग व अन्य चीजों से टकराकर कई लोगों के हाथ टूट गए और कई लोगों को पैर व शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आयी हैं।
श्रद्धालुओं की बिगड़ी तबीयत, स्थगित की कथा
यही नही रविवार को बड़ी संख्या में लोग गाड़ियों से पहुंचे थे। इसके कारण मठ तक पहुंचने वाले सभी रास्तों पर जाम लग गया। दस हजार से ज्यादा गाड़ियों रविवार को आयोजन स्थल पर पहुंची। कथा विराम के बाद घर लौटने के लिए लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ा। तरेत से पटना के बीच 25 किलोमीटर तीन-साढ़े तीन घंटे में तय हुई। जिन्हें सवारी नहीं मिली वे अपने परिवार के साथ पैदल ही सड़क पर चलते दिखे। हनुमत कथा के दूसरे दिन की शुरुआत हनुमान जी की आरती के साथ हुई। फिर बाबा बागेश्वर ने लंकिणी व विभीषण से हनुमान की मुलाकात से जुड़ी कथा सुना रहे थे। बाबा ने कहा कि लंका में प्रवेश करते समय लंकिणी ने कौशलपुर राजा का ध्यान करके जाने की बात हनुमान से कही थी जिसे हनुमान जी ने मान लिया था। बाबा बागेश्वर लंका में हनुमान और विभिषण की मुलाकात की कथा सुना ही रहे थे कि लोगों की बढ़ती भीड़ के कारण कथा स्थगित करनी पड़ी। बाद में हनुमान जी आरती के साथ ही दूसरे दिन की कथा को विराम दिया गया।