October 1, 2024

शक्ति कपूर ने बताई उस वक्त की कहानी, जब फिल्म ‘राजा बाबू’ के लिए उन्होंने जीता था अपना पहला फिल्मफेयर अवार्ड!

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मुंबई

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का देसी डांस रियलिटी शो ‘इंडियाज बेस्ट डांसर 3’, इस रविवार अपने ‘परिवार स्पेशल’ एपिसोड में परिवारों की मस्ती भरी नोकझोंक का जश्न मनाएगा! इस एपिसोड में चार चांद लगाएंगे जाने-माने कलाकार शक्ति कपूर और पद्मिनी कोल्हापुरे, जो अपने परिवार और अपनी निजी जिंदगियों से जुड़ीं कुछ दिलचस्प यादें साझा करेंगे।

एक परिवार की ताकत को सेलिब्रेट करते हुए ये सभी कंटेस्टेंट्स जजों और गेस्ट्स को प्रभावित करने के लिए अपना बेस्ट सामने लाएंगे। इस दौरान अक्षय पाल और उनके कोरियोग्राफर अमर एक फुल-आन फिल्मी परफॉर्मेंस देंगे, जहां वे शक्ति कपूर के कुछ यादगार डायलॉग्स और किरदारों को रीक्रिएट करके उन्हें सम्मानित करेंगे। बी-टाउन के अपने ‘नंदू’ यानी शक्ति कपूर इस जोड़ी की तारीफ करते हुए कहेंगे, यह वाकई एक एंटरटेनिंग एक्ट था। उन्होंने एक दिलचस्प याद ताजा करते हुए कहा, जब मुझे ‘राजा बाबू’ का आफर मिला, तब मैं यह फिल्म साइन नहीं करना चाहता था, क्योंकि मैंने बहुत-से नेगेटिव रोल्स निभाए थे और नंदू का किरदार उनसे अलग था। इसमें सिर्फ एक ही कॉस्टयूम था – चड्डी, नाड़ा और बनियान। मैंने गोविंदा से कहा, मैं यह फिल्म नहीं करना चाहता। लेकिन फिर उन्होंने मुझे यह कहकर मनाया, इसे करके तुम्हें कोई पछतावा नहीं होगा। और फिर फिल्मफेयर अवॉर्ड समारोह हुआ, जहां बहुत-सी श्रेणियों में इस फिल्म और इसके किरदारों को नॉमिनेट किया गया, जिसमें मेरा किरदार भी शामिल था। वहां जाने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि मैं आमतौर पर इस तरह के समारोहों में नहीं जाता हूं। लेकिन मैं फिर भी वहां गया क्योंकि मेरी पत्नी, मां और मेरी सिस्टर-इन-लॉ मुझे जबर्दस्ती वहां ले गए।

हालांकि मुझे पता था कि मुझे इस अजीब किरदार के लिए अवॉर्ड नहीं मिलेगा। सभी एक्टरों को अवॉर्ड लेते देखकर मेरी मां बार-बार पूछ रही थी कि आखिर ये तुम्हारा नाम क्यों नहीं ले रहे हैं? तो मैं भगवान से बस यही प्रार्थना कर रहा था कि प्लीज मेरे लिए नहीं, बल्कि मेरी मां के लिए मुझे अवॉर्ड जितवा दो। और फिर वो वक्त आया, जब बेस्ट कॉमेडियन की कैटेगरी में विनर के रूप में मेरे नाम की घोषणा की गई। उस पल मैंने खुद से कहा, भगवान का शुक्र है, नहीं तो मेरी मां निराश होकर घर लौटतीं! पद्मिनी और मेरी मां दोनों को इसका यकीन था, लेकिन मुझे भरोसा नहीं था।

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