केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के MP दौरे से जागी होमगार्ड्स के 4500 पद भरने की उम्मीद
भोपाल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का मध्य प्रदेश दौरा कई मायनों में अहम माना जा रहा है। उनके दौरे से होमगार्ड- एसडीआरएफ के प्रदेश में और मजबूत होने की आस जागी है। उन्होंने होमगार्ड के अमले को हर राज्य में मजबूत करने और उनकी अधिकारों को लेकर जो बात मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में की, उसके बाद यह तय माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में होमगार्ड- एसडीआरएफ के जवानों के हालात पहले से अब बेहतर होंगे। साथ ही लगभग 17 वर्षों से खाली पड़े पद भी भरने की कवायद जल्द शुरू हो सकती है।
प्रदेश की कानून व्यवस्था से लेकर डिजास्टर मैनेजमेंट तक में अपनी जान हथेली पर रख कर काम करने वाले होमगार्ड की सुध केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार नहीं ले रही है। दोनों ही सरकार ने प्रदेश की इस मजबूत यूनिट से हाथ खींच लिये हैं। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भोपाल में आयोजित हुई मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक के बाद यह आस जागी है कि एक बार फिर केंद्र सरकार की नजर होमगार्ड्स पर इनायत हो सकती है।
ऐसे हुई अनदेखी
प्रदेश में होमगार्ड के करीब 17हजार पद हैं। इन पदों में से करीब साढ़े बाहर हजार पद ही भरे हुए हैं। यानि प्रदेश में होमगार्ड के साढ़े चार हजार के लगभग पद खाली है। वहीं इनके वेतन भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुलिस आरक्षक की बेसिक सेलरी का ही दिया जाता है। जबकि पुलिस आरक्षक को डीए, टीए के साथ एक माह का अतिरिक्त वेतन दिया जाता है। जबकि डीए, टीएम और एक माह का अतिरिक्त वेतन होमगार्ड्स को प्रदेश में नहीं दिया जाता है।
केंद्र ने भी मुंह मोड़ा
इधर केंद्र सरकार ने भी होमगार्ड से कई सालों पहले मुंह मोड़ लिया था। पहले देश के हर राज्य में यह व्यवस्था थी कि होमगार्ड्स के वेतन के लिए केंद्र सरकार अनुदान देना था। यह राज्यों के हिसाब से अनुदान का प्रतिशत केंद्र ने तय कर रखा था। यानि होमगार्ड के वेतन देने में पहले केंद्र सरकार का भी योगदान होता था, लेकिन केंद्र का अनुदान कई सालों से बंद हैं।
इसलिए जागी उम्मीद
मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मांगी की थी कि होमगार्ड को पुलिस आरक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए। जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार इस पर रिव्यू कर रही है। इस रिव्यू का मतलब फिलहाल यह माना जा रहा है कि केंद्र सरकार फिर से होमगार्ड के लिए अनुदान देने की व्यवस्था शुरू कर सकता है।
आपदा में जान जोखिम में रखकर करते हैं काम
होमगार्ड का ही हिस्सा एसडीआरएफ है। प्रदेश में एसडीआरएफ के जवानों को आपदा के समय अपनी जान जोखिम में डालना पड़ती है। इस वक्त भी जब प्रदेश के कई हिस्से बाढ़ से प्रभावित हैं, जब होमगार्ड अपनी जान पर खेलकर रेस्क्यू कर लोगों की जान बचा रहे हैं। प्रदेश में पिछले कई सालों में एसडीआरएफ के जवानों ने हजारों प्रदेश वासियों की जान बचाई है। बाढ़ से आगजमी में फंसे लोगों के रेस्क्यू के लिए अब इसी अमले को आगे किया जाता है। वहीं कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए भी होमगार्ड को तैनात किया जाता है। वीआईपी मूवमेंट और सुरक्षा के लिए भी इनकी मदद जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन हर शहर में लेता रहता है। यह व्यवस्था प्रदेश में लंबे अरसे से चली जा रही है। इसके बाद भी इस फोर्स की बेहतरी के लिए बहुत ज्यादा प्रयास नहीं किये गए। छह साल पहले सिंहस्थ महाकुंभ के दौरान होमगार्ड के जवानों की सेवाएं व्यापक तौर पर ली गई थी और तब सरकार ने आश्वस्त किया था कि उन्हें जल्द नियमित किया जाएगा, लेकिन इस घोषणा पर अब तक पूरी तरह से अमल नहीं हो पाया।